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रविवार, 13 मार्च 2011

अजन्मे के जन्म की कैसे हुई गणना


क्या रहे श्रीकृष्ण के जन्म की सही तिथि जानने के आधार
अंत में गीता प्रेस गोरखपुर के संस्थपक हनुमान प्रसाद पोद्दार के कलेंडर को मिला सबल आधार
मथुरा। ब्रज के कण कण में श्रीकृष्ण बसे हैं और उनमें समूचे ब्रज की थाती। ब्रज उनकी लीलाओं से ही सदैव पुष्पित-पल्लवित हुआ है। उनका 5238 वाँ जन्मोत्सव मनाने के लिए ब्रजवासी आल्हादित हैं। जग के पालन कर्ता भी  धरा मण्डल पर 150 वर्ष ही जिए। उन्होंने 83 वर्ष की वृद्धावस्था में महा•ाारत युद्ध का नेतृत्व किया। जिस महाभारत पर पूरा ग्रंथ रच गया वह युद्ध मात्र 18 दिन ही चला।
खास बात है कि अजन्मे कन्हैया के जन्म की गणना तीन हाजर वर्ष पूर्व लोगों ने किस तरह की। माना जाता है कि श्री कृ ष्ण द्वापर युग के अंत और कलियुग के आरं•ा काल में विद्यमान रहे। कलियुग का आरम्भ  चैत्रशुक्ल प्रतिपदा 3179 शक संवत चैत्रशुक्ल एक को पूर्व हुआ। वर्तमान में शक संवत1932 चल रहा है। इन दोनों को जोड़ें तो 5111 योग बैठता है। इस प्रकार कलियुग के आरंभ  होने से छह माह पूर्व मार्गशीर्ष शुक्ल 14 को महाभारत युद्ध आरंभ  हुआ जो 18 दिनों तक चला। इस समय श्रीकृष्ण की आयु 83 वर्ष थी। वह 119 वर्ष की आयु में भूलोक त्याग गए। इस प्रकार भारतीय मान्यता के अनुसार श्रीकृष्ण का काल शक संवत पूर्व 3263 की भाद्रपद कृ ष्णा अष्टमी बुधवार से शक संवत पूर्व 3144 तक है। विख्यात ज्योतिषी वारह मिहिर, आर्यभट्ट, ब्रह्मगुप्त आदि के समय से ही यह मान्यता प्रचलित है। भारत का सर्वाधिक प्राचीन युधिष्ठिर संवत जिसकी गणना कलियुग से 40 वर्ष पूर्व से की जाती है। इस मान्यता को पुष्ट करता है।
भागतव पुराण के अनुसार श्रीकृष्ण का अवतार 125 वर्ष के लिए हुआ। कलियुग की मूल आयु 5108 में श्रीकृष्ण की आयु जोड़ने पर 5233 वर्ष बैठती है।
टेÑनिंग कॉलेज पूना के गणित प्राध्यापक स्व. शंकर बाल कृष्ण ने मैत्रायणी उपनिषद को ईसवी सन से 1900 वर्ष पूर्व का और शतपथ ब्राह्मण से 3000 वर्ष पूर्व का माना है। मैत्रायणी सबसे बाद का उपनिषद है। गणना में कुछ इस तरह श्रीकृष्ण का जन्म स्पष्ट किया है। यह गणना भी  श्रीकृष्ण को पांच हजार वर्ष से पूर्व जन्मा सिद्ध करती है।
एक अन्य मत के अनुसार यवन नरेश सैल्यूकस के राजदूर मेघस्थनीज के भारतीय नरेश चंद्रगुप्त के यहाँ आने का विवरण मिलता है। मेघस्थनीज ने भारतीय अनुभवों को लिपिवद्ध किया। उनका मूल ग्रंथ तो नहीं मिला लेकिन एरियन आदि ने उनके अंश यवन लेखकों ने उद्धृत किए। मेघस्थनीज ने लिखा है कि मथुरा में शौरसेनी लोगों का निवास है। वे प्रमुख रूप से हरकुलीज(हरिकृष्ण) की  पूजा करते हैं। उन्होंने लिखा है कि डायोनिसियस से हरकुलीज 15 पीढ़ी  और सेण्ड्रकोटम (चन्द्रगुप्त) 153 पीढ़ी पहले हुए थे। इस प्रकार श्रीकृष्ण और चंद्र गुप्त में 138 पीढ़ियों का अंतर हुआ। यदि प्रत्येक पीढ़ी 20 वर्ष की मानी जाय तो 38 पीढ़ियों के 2760 वर्ष हुए। चन्द्रगुप्त का समय ईसा से 326 वर्ष पूर्व है। इस हिसाब से श्रीकृष्ण काल अब से 1965+326+2760 को जोड़ने पर 5051 वर्ष सिद्ध होता है।
नक्षत्र गणना के हिसाब से भी  श्रीकृष्ण के जन्म काल का निर्णय किया गया है। परीक्षित के समय में सप्तर्षि मघा नक्षत्र पर थे। शुकदेव द्वारा परीक्षित से कहे गए वाक्यों से सिद्ध होता है।
ज्योतिष के अनुसार सप्तर्षि एक नक्षत्र पर एक सौ वर्ष तक रहते हैं। आजकल सप्तर्षि कृतिका नक्षत्र पर है जो मघा से 21 वां नक्षत्र है। इस प्रकार मघा से कृतिका पर आने में 21 वौ वर्ष लगे हैं किंतु यह अवधि महा•ाारत काल तदापि नहीं हो सकती। इससे यह मानना होगा कि मघा से शुरू कर 27 नक्षत्रों का चक्र पूरा हो चुका था। दूसरे चक्र में सप्तर्षि उस काल में मघा पर आए थे। पहले चक्र के 27 सौ व दूसरे के 21 सौ जोड़ने पर कुल 48 सौ वर्ष हुए। इस समय परीक्षित मौजूद थे। परीक्षित के पितामह अर्जुन थे जो श्री कृष्ण से 18 वर्ष छोेटे थे। इस प्रकार ज्योतिष की गणना के हिसाब से श्रीकृष्ण का काल करीब पाँच हजार वर्ष पूर्व सिद्ध होता है।

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