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मंगलवार, 5 अप्रैल 2011

गायों से दूर हो सकती है ग्रीष्म ऋतु में दूध की कमी


 

पशुपालन डीके सिंडीकेट
दू ध, मलाई, रबड़ी, भांग और तर माल सभी को अच्छे लगते हैं। इसके लिए जरूरी दूध की दिनोंदिन कमी होती जा रही है। गर्मी आते ही दुग्ध उत्पादन की स्थिति बिगड़ने लगती है। उप्र ही क्या अधिकांश राज्यों में गर्मी में दूध का अकाल सा पड़ जाता है। भाव आसमान छूने लगते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार इसका मुख्य कारण गायों की लगातार घटती संख्या हैं। क्योंकि एक तरफ भैंसों का ब्यांत सितंबर के माह में होने के कारण गर्मियों में उनके द्वारा दुग्ध उत्पादन में खासी कमी हो जाती है, दूसरे गर्मी के मौसम में भी दूध की आपूर्ति बरकरार रख सकने वाली गायों की संख्या भैंसों के मुकाबले केवल 15 प्रतिशत ही है। ऐसे में, बस एक ही चारा रह जाता है कि गर्मियों में दुग्ध उत्पादन बरकरार रखने लिए गायों की संख्या में अपेक्षित बढ़ोत्तरी की जाए।
भैंसों में 80 प्रतिशत नस्लों का दुग्धकाल ठंडक में होता है वहीं गायों का इतना ही औसत गर्मी में निकलता है। बीएचयू के एक रिसर्चर की रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 1993 से 2003 तक प्रदेश में भैंस और बकरी की संख्या लगातार बढ़ी है।
इसके बाद से भैंसपालन में पशुपालकों की रुचि बढ़ी है। गायों की संख्या में लगातार कमी हो रही है। पिछले 10 सालों में यह कमी 8.5 प्रतिशत तक देखी गई है। इसे यूं समझ जा सकता है कि दुनिया की हर दूसरी भैंस भारत में पाई जाती है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रति पशु दुग्ध उत्पादन में वृद्धि का लक्ष्य रखना होगा। मथुरा में वर्ष 2008 में हुई पशुगणना से पता चलता है कि गायों के मुकाबले भैंसें सात गुणा हैं। भैंसों का गर्भकाल सितंबर में होता है और मार्च आते-आते वह दूध देना बंद कर देती हैं। इधर गाय सितंबर के समय में हीट में आती हैं और जनवरी-फरवरी में बच्चा देकर दूध देना शुरू कर देती हैं। गाय भले ही भैंसों के मुकाबले कम दूध दें, लेकिन पशुपालक को गर्मी में दूध की कीमत डेढ़ गुनी तक मिल जाती है। इसलिए जब तक गायों की संख्या में अपेक्षित इजाफा नहीं किया जाएगा, गर्मियों में दूध की कमी पूरी कर पाना संभव नहीं होगा। इस उद्देश्य के लिए पांच एकड़ तक जमीन वाले किसानों के लिए हरियाणा, साहीवाल एवं रेडसिंधी नस्लें उपयुक्त हैं।
गायों को गाभिन कराने के लिए इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि प्रति ब्यांत से 1.5 से दो हजार लीटर दूध देने वाली गाय से जन्मे सांड से गाभिन कराया जाए। ऐसा होने पर ही नस्ल सुधार संभव हो पाएगा। अधिक जानकारी के लिए डा. राजेश पाराशर प्रभारी पराग डेरी से उनके मोबाइल नंबर 9412279474 पर संपर्क कर सकते हैं।
गायों से दूर हो सकती है ग्रीष्म ऋतु में दूध की कमी पशुपालन डीके सिंडीकेट जाड़ों में भैंसों के दूध की प्रचुरता से सस्ता रहता है दूध गर्मी में कम दूध देकर भी भैंसों के उत्पादन के बराबर कीमत दे जाती है गाय गायों में वृद्धि कर दूर कर सकते हैं दूध की कमी

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