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गुरुवार, 17 मार्च 2011

अजीत की पार्टी के सांसद बिके


अजीत की पार्टी के सांसद बिके
मीडिया की खबर पुख्ता है तो किसान मसीहा चौ. चरण सिंह के बेटे और राष्टÑीय लोकदल के सर्वे सर्वा चौ. अजीत सिंह ने किसानों की ओर से भी अपना विश्वास खोने वाला काम किया है। उनपर कांग्रेस के लिए वोटिंग करने के नाम पर चार सांसदों की एवज में 10 करोड़ रूपए लेने का आरोप है। वह इस मसले में सफाई देते फिर रहे हैं लेकिन खबरें भी पुख्ता लग रही हैं।
अब आप यह जानना चाहेंगे कि खबर आई कहां से। हर देश में दूसरे देशों के राजनयिक रखे जाते हैं। दो देश एक दूसरे के साथ समझौते, कारोबार आदि से जुडेÞ मुद्दों पर पड़ने वाले प्रभावों के अध्ययन के लिए अपने राजनयिक रखते हैं। राजनयिकों का काम यही होता है वह देश में होने वाली राजनीतिक उथल पुथल से जुड़ी गोपनीय जानकारी अपनी सरकार को मुहैया कराएं। कुछ इसी तरह के वाकये ने इसकी पोल खोल दी है।
अभी तक मिली जानकारी के अनुसार अमेरिकन एम्बेसी के सचिव ने वाशिंगटन को एक मैसेज उस समय भेजा था जब मनमोहन सरकार पर संकट के बादल छाए। यह वह समय था जब भाजपा के सांसदों ने देश की संसद में नोट उछाले थे और अरोप लगाया था कि उन्हें खरीदेने के लिए यह धन कांगे्रसियों की ओर से दिया गया है। कांग्रेस सत्ता में बने रहने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है। उस समय यह भाजपा का नाटक लग रहा था लेकिन रालोद नेताओं द्वारा धन लेने के ताजी खुलासे के बाद देश को शर्मशार कर देने वाली तस्बीर समाने आई है। इसके लिए कांग्रेस एवं रालोद दोनों जिम्मेदार हैं।
ज्ञात हुआ है एक वेवसाइट विकिलिक्स ने आईटी टेक्नोलॉजी में सेंधमारी कर या किसी अन्य तरीके से ढ़ाई लाख मैसेज इकट्ठा कर लिए। इनमें से 60 हजार मैसे द हिन्दू अखबार ने किसी तरह से हासिल किए। इन्हीं में से एक मैसेज अमेरिकी सचिव द्वारा वाशिंगटन को भेजे गए अजीत सिंह की पार्टी के सांसदों की खरीद फरोख्त से जुड़ा हुआ है।
इतना ही नहीं इस बात को इसलिए भी दम मिलता है कि मीडिया में गुजरे महीनों में यह खबरें भी आर्इं थीं कि अजीत सिंह कांग्रेस में शमिल होने वाले हैं और इसके लिए उन्होंने उस दौर में विदेश यात्रा भी की थी। इस यात्रा का निहितार्थ यही लगाया गया था कि कांग्रेस का दामन थामने की बाता-चीत वहीं हुई थी।
रालोद नेता इसका खंडन कर रहे हैं लेकिन सांसदों की खरीद राशि को लेकर छोटे मोटे नेता भी कहने लगे हैं कि बहुत मद्दे बिक गए सांसद। आजकल इतने पैसे में तो जिला पंचायत सदस्य भी कई मामलों में राजी नहीं होते।

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