*पशु बांधने के स्थान पर पानी की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए जिससे दिन में एक बार ठीक प्रकार से सफाई की जा सके।
*फर्श की धुलाई के बाद फिनाइल के पानी अथवा गर्म पानी से सफाई करें जिससे रोगाणु मर जाते हैं।
*पशुशाला की दीवारों पर चिपकाा गोबर पानी की सहायता से साफ कर देना चाहिए।
*पशुशाला की दीवारों आदि पर वर्ष में एक बार चूने से पुताई अवश्य करानी चाहिए।
दुहने से पहले की सावधानी पशुओं के दुहने के एक डेढ़ घंटे पहले टाट के टुकड़े या खुरैरे और पानी की सहायता से पशु को भली भांति साफ कर लेना चाहिए। जिससे बाल और गंदगी साफ हो जाती है।
*पशु को दुहने से आधा घंटे पहले चारा खिलाना बंद कर देना चाहिए।
*पशु का चारा गंध रहित होना चाहिए। जैसे प्याज, लहसुन, गोभी, साइलेज आदि चारे पशु को कम से कम खिलाएं।
क्योंकि इन्हें खिलाने से दूध में दरुगध आ जाती है।
*यदि पशु को दुहते समय चारा खाने की आदत बना ली है तो सूखा चारा व धूल वाला चारा नहीं खिलाना चाहिए। क्योंकि इससे धूल के कण उड़कर दूध को दूषित कर देते हैं।
*प्रतिदिन समय पर ही दूध दुहना चाहिए। क्योंकि उस समय पशु भी दूध दुहाने की मन: स्थिति में होता है।
*दूध दुहने वाला ग्वाला स्वस्थ व निरोगी होना चाहिए।
उसके नाखून कटे हुए व बाल साफ होने चाहिए।
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