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रविवार, 13 मार्च 2011

पशु चारे के रूप में एजोला


एजोला शैवाल से मिलती जुलती पानी पर तैरती हुई फर्न है। सामान्यत: एजोला धान के खेत या उथले पानी में उगाई जाती है जो तेजी से बढ़ती है। यह प्रोटीन, आवश्यक अमीनो एसिड, विटामिन (विटामिन ए, विटामिन बी-12 तथा बीटा-कैरोटीन), विकासवर्धक सहायक तत्वों एवं कैल्शियम, फॉस्फोरस, पोटैशियम, फैरस, कॉपर, मैगनेशियम से भरपूर। शुष्क वजन के आधार पर, इसमें 25-35 प्रतिशत प्रोटीन, 10-15 प्रतिशत खनिज एवं 7-10 प्रतिशत अमीनो एसिड, बायो-एक्टिव पदार्थ तथा बायो-पॉलीमर होते हैं। इसके उच्च प्रोटीन एवं निम्न लिग्निन तत्वों के कारण मवेशी इसे आसानी से पचा लेते हैं। एजोला मिश्रित करके या सीधे मवेशी को दिया जा सकता है। कुक्कुट, भेड़, बकरियों, सुअर तथा खरगोश को भी दिया जा सकता है।

एजोला का उत्पादन
पहले क्षेत्र की जमीन की खरपतवार को निकाल कर समतल किया जाता है उस पर ईंटों को क्षैतिजिय, आयताकार तरीके से पंक्तिबद्ध किया जाता है। 2 मीटर लंबे व चौड़े आकार की एक यूवी स्थायीकृत सिल्पोलिन शीट को ईंटों पर एक समान तरीके से इस तरह से फैलाया जाता है कि ईंटों द्वारा बनाये गये आयताकार रचना के किनारे ढंक जाएं। सिल्पोलिन के गड्ढे पर 10-15 किलो छनी मिट्टी फैला दी जाती है। 10 लीटर पानी में मिश्रित 2 किलो गोबर एवं 30 ग्राम सुपर फॉस्फेट से बना घोल, शीट पर डाला जाता है। जलस्तर को लगभग 10 सेमी तक करने के लिए और पानी मिलाया जाता है। एजोला क्यारी में मिट्टी तथा पानी के हल्के से हिलाने के बाद लगभग 0.5 से 1 किलो शुद्ध मातृ एजोला कल्चर बीज सामग्री पानी पर एक समान फैला दी जाती है। एजोला पर ताजा पानी छिड़का जाना चाहिए। एक हञ्जते के अन्दर, एजोला पूरी क्यारी में फैल जाती है एवं एक मोटी चादर जैसी बन जाती है। एजोला की तेज वृद्धि तथा 50 ग्राम दैनिक पैदावार के लिए, 5 दिनों में एक बार 20 ग्राम सुपर फॉस्फेट तथा लगभग एक किलो गाय का गोबर मिलाया जाना चाहिए।
एजोला में खनिज की मात्रा बढ़ाने के लिए एक-एक हञ्जते के अंतराल पर मैग्नेशियम, आयरन, कॉपर, सल्फर आदि से युक्त सूक्ष्मपोषक भी मिलाया जा सकता है। नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ने तथा सूक्ष्मपोषक की कमी को रोकने के लिए, 30 दिनों में एक बार लगभग 5 किलो क्यारी की मिट्टी को नई मिट्टी से बदलनी चाहिए। क्यारी में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ने से रोकने के लिए, प्रति 10 दिनों में एक बार, 25 से 30 प्रतिशत पानी भी ताजे पानी से बदला जाना आवश्यक होता है। पानी तथा मिट्टी को बदला जाना चाहिए एवं नए एजोला का संचारण किया जाना चाहिए। कीटों तथा बीमारियों से संक्रमित होने पर एजोला के शुद्ध कल्चर से एक नयी क्यारी तैयार तथा संचारण किया जाना चाहिए। कटाई- यह तेजी से बढ़कर 10-15 दिनों में गड्ढे को भर देगा। उसके बाद से 500-600 ग्राम एजोला प्रतिदिन काटा जा सकता है। प्लास्टिक की छलनी या ऐसी ट्रे जिसके निचले भाग में छेद हो, की सहायता से, 15वें दिन के बाद से प्रतिदिन किया जा सकता है। कटे हुए एजोला से, गाय के गोबर की गन्ध हटाने के लिए उसे ताजे पानी से धोया जाना चाहिए। सावधानी- इसे एक जाली में धोना उपयोगी होगा क्योंकि इससे छोटे-छोटे पौधे बाहर निकल पाएंगे जो वापस तालाब में डाले जा सकते हैं। तापमान 25डिग्री सेल्सियस से नीचे बनाए रखना रखना चाहिए। प्रकाश की तीव्रता कम करने के लिए छांव करने की जाली उपयोग की जा सकती है। एजोला बायोमास एकत्र होने से बचाने के लिए उसे प्रतिदिन हटाया जाना चाहिए।
फीचर डेस्क कल्पतरु एक्सप्रेस
 

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