कटाई, छटाई एवं सहारा देना: इस समय बेल वाली फसलें खेतों में तैयार हैं। इस समय इनकी देखभाल की विशेष आवश्यकता होती है।
अधिक उपज प्राप्त करने और फलों की गुणवत्ता के लिए कद्दू वर्गीय सब्जियों की कटाई छटाई अति आवश्यक होती है जैसे खरबूजा में 3-7 गाँठ तक सभी द्वितीय शाखाओं को काट देने से उपज एवं गुणवत्ता में वृद्धि हो जाती है। तरबूज में 3-4 गाँठ के बाद के भाग कीकटाई-छटाई कर देनी चाहिए। इसी प्रकार इस कुल की सब्जियों में सहारा देना अति आवश्यक है इसके लिए लोहे की एंगल या बांस के खम्भे से मचान बनाते है। खम्भों के ऊपरी सिरे पर तार बांध कर पौधों को मचान पर चढ़ाया जाता है। सहारा देने के लिए दो खम्भों या एंगल के बीच की दूरी 2 मीटर रखते हैं, लेकिन ऊँचाई फसल के अनुसार अलग-अलग होती है सामान्यत: करेला और खीरा के लिए 4.50 फीट, लेकिन लौकी आदि के लिए 5.50 फीट रखते है ।
कीट व रोगों से बचाव
इन सब्जियों में कई प्रकार के कीट व रोग नुकसान पहुंचाते हैं। इनमें मुख्यत: रेड पम्पकिन बीटल(लाल कीड़ा),चेंपा, फलमक्खी ,पाउडरी मिल्डयू (चूर्णिल आसिता) तथा डाउनी मिल्डयू (रोमिल आसिता) मुख्य हैं। रेड पम्पकिन बीटल, जो फसल को शुरू की अवस्था में नुकसान पहुंचाता है, को नष्ट करने के लिए इन फसलों में सुबह के समय मैलाथियान नामक दवा का 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर पौधों एवं पौधों के आस-पास की मिट्टी पर छिड़काव करना चाहिए। चेंपा तथा फलमक्खी से बचाव के लिए इण्डोसल्फान 2 मिली लीटर दवा प्रति लीटर पानी के हिसाब से घोल बना कर पौधों पर छिड़काव करें। चूर्णिल आसिता रोग को नियंत्रित करने के लिए कैराथेन या सल्फर नामक दवा (1- 2 ग्राम दवा प्रति लीटर पानी) का छिड़काव करना चाहिए। रोमिल आसिता के नियंत्रण हेतु डायथेन एम- 45 (1.5 ग्राम दवा प्रति लीटर पानी) का छिड़काव करना चाहिए। दूसरा छिड़काव 15 दिन के अन्तर पर करना चाहिए।
फीचर डेस्क कल्पतरु एक्सप्रेस
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