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बुधवार, 6 अप्रैल 2011

प्रदेश में घटा बालिका जन्मदर


 

. जनसंख्या वृद्धि की रञ्जतार रोकने में कारगर साबित हुआ परिवार नियोजन . गर्भ में पल रही बच्चियों की जान पर आफत, बालिका भ्रूण हत्या में बढ़ोतरी . प्रदेश में प्रति हजार बालकों पर बालिकाओं की संख्या घटकर हुई 899 . जौनपुर जिले में प्रति हजार पुरुष पर महिलाओं की संख्या 1018 . हरदोई, बलिया और सोनभद्र में सुधरा पुरुष-महिला अनुपात
लखनऊ। देश के सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश की जनसंख्या वर्ष 2001 से 2011 के बीच तीन करोड़ तैंतीस लाख की बढ़ोत्तरी के साथ 19 करोड़ 95 लाख 81 हजार हो गयी है। हालांकि, बीते दशक के दौरान जनसंख्या वृद्धि दर में 5.78 प्रतिशत की उल्लेखनीय गिरावट आयी है। वर्ष 2001 में उत्तर प्रदेश की कुल जनसंख्या 16 करोड़ 61 लाख 97 हजार थी। पिछले दस साल के दौरान प्रदेश में पुरुष-महिला अनुपात में थोड़ी बढ़ोत्तरी हुई है और यह पिछले दशक के मुकाबले प्रति हजार 898 से बढ़कर 908 हो गयी है, जबकि लिंगानुपात का राष्ट्रीय औसत 940 प्रति हजार है। प्रदेश में छह वर्ष तक के बच्चों की आबादी में पिछले दशक के मुकाबले छह प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी है, यानी परिवार नियोजन के प्रयास कारगर साबित हो रहे हैं। मगर इस आयु वर्ग में पुरुष-महिला अनुपात में गिरावट आयी है और यह पिछले दशक की प्रति हजार आबादी पर 916 से घट कर 899 रह गया है। उत्तर प्रदेश की जनगणना निदेशक नीना शर्मा ने आज यहां पंद्रहवीं जनगणना के आंकड़े जारी करते हुए बताया, ‘‘प्रदेश की आबादी में बीते एक दशक के दौरान 3 ़ 33 करोड़ से अधिक की बढोत्तरी हुई है और अब प्रदेश की जनसंख्या 19 .95 करोड़ से अधिक हो गयी है, जो पूरे देश की आबादी की 16. 95 प्रतिशत यानी छठवें हिस्से के बराबर है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में ताजा जनगणना के अनुसार पुरुषों की संख्या 10 करोड़ 45 लाख 96 हजार है जबकि महिलाओं की संख्या 9 करोड़ 49 लाख 85 हजार है और इस तरह प्रदेश में महिला पुरुष अनुपात प्रति हजार 908 का हो गया है, जो पिछले दशक में 898 था।
शर्मा ने बताया कि बीते दशक के दौरान प्रदेश में जनसंख्या वृद्धि दर पिछले दशक के 25 .85 प्रतिशत के मुकाबले 20 ़ 07 हो गयी है। उन्होंने बताया कि बीते दशक के दौरान प्रदेश में शून्य से छह वर्ष तक की उम्र के बच्चों की आबादी दर की वृद्धि ऋणात्मक रही है और बीते दशक के मुकाबले इस आयु वर्ग की आबादी में 6 प्रतिशत की कमी हुई है।
शर्मा ने बताया कि वर्ष 2001 की जनगणना में प्रदेश में छह वर्ष से कम आयु के बच्चों की संख्या तीन करोड़ 16 लाख 24 हजार थी, जबकि वर्ष 2011 में इनकी संख्या 2 करोड़ 97 लाख 28 हजार हो गयी है, जो कि वर्ष 2001 के मुकाबले छह प्रतिशत कम है। उन्होंने बताया कि बालकों की संख्या में यह गिरावट 5 .18 प्रतिशत है, जबकि बालिकाओं की संख्या में यह गिरावट 6 .88 प्रतिशत रही। शर्मा ने बताया कि पूरी आबादी में जहां एक ओर पुरुष- महिला अनुपात में सुधार हुआ हंै। वहीं शून्य से छह वर्ष के आयु वर्ग में यह प्रतिशत बिगड़ा है और वर्ष 2001 में प्रति हजार बालकों पर बालिकाओं की संख्या 916 थी, जो अब घटकर 899 रह गयी है।
उन्होंने बताया कि बीते दशक में प्रदेश की साक्षरता दर में 13 . 45 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है और करीब 70 प्रतिशत लोग साक्षर हो गए हैं। पुरुष साक्षरता दर में 10 .42 प्रतिशत जबकि महिला साक्षरता दर में 17 प्रतिशत की बढोत्तरी हुई है।
शर्मा ने बताया कि पुरुषों में साक्षरता प्रतिशत के हिसाब से प्रदेश में 90 .23 प्रतिशत के साथ गौतमबुद्ध नगर पहले स्थान पर है तथा महिला साक्षरता की दृष्टि से 81 .42 प्रतिशत के साथ गाजियाबाद अव्वल है। पुरुष और महिला साक्षरता दर की दृष्टि से श्रावस्ती प्रदेश का सबसे पिछड़ा जिला है, जहां पुरुष साक्षरता प्रतिशत लगभग 60 और महिला साक्षरता दर 37 प्रतिशत है। कुल साक्षरता औसत के हिसाब से 85 प्रतिशत के साथ गाजियाबाद और 82 ़ 2 प्रतिशत के साथ गौतमबुद्धनगर क्रमश: पहले और दूसरे स्थान पर हैं, जबकि सबसे कम साक्षरता प्रतिशत श्रावस्ती में 49 .13 तथा बहराइच में 51 .10 प्रतिशत है। जिलेवार आबादी की दृष्टि से लगभग 60 लाख की आबादी के साथ इलाहाबाद सबसे उपर है, जबकि दूसरे, तीसरे, चौथे और पांचवे स्थान पर क्रमश: मुरादाबाद, गाजियाबाद, आजमगढ और लखनऊ जिले हैं, जिनकी आबादी लगभग 46 लाख से लेकर 48 लाख के बीच है। जनसंख्या घनत्व के लिहाज से गाजियाबाद सबसे घनी आबादी वाला जिला पाया गया है, जहां यह औसत 3954 प्रति वर्ग किलोमीटर है। सबसे कम जनसंख्या घनत्व वाला जिला ललितपुर है, जहां प्रति वर्ग किलोमीटर महज 242 लोग ही रहते हैं।
शर्मा ने बताया कि शहर की आबादी के लिहाज से 28लाख 15 हजार से अधिक की संख्या के साथ राजधानी लखनऊ सबसे उपर है और दूसरे स्थान पर कानपुर है, जिसकी आबादी 27 लाख 69 हजार से कुछ उपर है। प्रदेश में महोबा जिले की आबादी सबसे कम लगभग 9 लाख है, जबकि ललितपुर, श्रावस्ती, हमीरपुर और चित्रकूट जिलों की आबादी 12 से 10 लाख के बीच है। जिलेवार तुलना के लिहाज से पुरुष महिला अनुपात जौनपुर जिले में सबसे बेहतर है, जहां प्रति हजार पुरुष पर महिलाओं की संख्या 1018 है। सबसे खराब स्थिति गौतमबुद्धनगर और कानपुर नगर की है, जहां महिलाओं की यह संख्या मात्र 852 है। वहीं, आजमगढ में प्रति हजार पुरुषों पर महिलाओं की संख्या एक हजार से अधिक है। शून्य से छह वर्ष की आयु वर्ग में पुरुष महिला अनुपात में हरदोई, बलिया, सिद्धार्थनगर, बिजनौर और सोनभद्र में सुधार हुआ है, जबकि इस दृष्टि से चंदौली, बदायूं, बलरामपुर, शाहजहांपुर और कानपुर देहात में स्थिति बिगड़ी है।

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