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. राजस्थान का आरोप, नहीं मिलता हिस्से का पानी यूपी-हरियाणा और राजस्थान के यमुना रिवर बोर्ड समझोते में संशोधन की जरूरत समस्या मथुरा। अगला विश्वयुद्ध पानी के लिए होगा, यह उक्ति अभी से सिद्ध होती दिख रही है। यमुना रिवर बोर्ड के तहत 1994 में हुए यमुना जल बंटवारे के निपटारे को लेकर यूपी-राजस्थान में घमासान मचा हुआ है। राजस्थान का सदैव ही एक आरोप रहा है कि उसे उसके हिस्से का यमुना जल नहीं मिल रहा है, जबकि हरियाणा और राजस्थान को गुजरे चार सालों में हिस्से से अधिक पानी दिया गया है। पानी की बड़े पैमाने पर हरियाणा में चोरी होती है और झंझट यूपी और राजस्थान में होता है। इस मामले में राजस्थान के मुख्यमंत्री यूपी की मुख्यमंत्री को पत्र भी लिख चुके हैं। बोर्ड के गठन के बाद तीनों राज्यों द्वारा बनाई गई नीति के तहत हर राज्य का हिस्सा तय हुआ। तीनों राज्यों को पानी यमुना में जल की उपलब्धता के हिसाब से दिया जाना तय किया गया। यूपी का हिस्सा नवंबर से फरवरी माह तक 20 प्रतिशत, मार्च से जून तक 26 एवं जुलाई से अक्टूबर तक 78 प्रतिशत निर्धारित किया गया। इधर, हरियाणा की गुड़गांव एवं पलवल चैनल से नवंबर से फरवरी तक 53, मार्च से जून तक 52 एवं जुलाई से अक्टूबर तक सात प्रतिशत पानी देना है। इसी तरह राजस्थान को क्रमश: 21, 22 व 15 प्रतिशत जल का निर्धारण किया गया। इस बंटवारे के हिसाब से तीनों राज्यों को पानी ओखला हैड पर दिया जाना तय हुआ। अब राजस्थान अपनी सीमा पर पानी की मांग करने लगा है। होता यह है कि हरियाणा में 334 स्थानों पर 340 अवैध कुलाबे एवं पाइप लाइन हरियाणा के किसानों ने डाल रखी हैं। इनसे जब भी नहर चलती है पानी जारी रहता है। इससे व्यापक स्तर पर यूपी और राजस्थान के हिस्से के पानी की चोरी होती है। यूपी सिंचाई विभाग के अधिकारी तो कभी-कभार दौड़ भाग भी करते हैं, लेकिन राजस्थान के अधिकारी इस ओर कतई ध्यान नहीं देते। यही कारण है कि यह मुद्दा आज तक अपर यमुना रिवर बोर्ड के एजेंडे में भी शुमार नहीं हुआ। पानी का ज्यादा फायदा हरियाणा इसलिए लेता है कि यूपी- राजस्थान को पानी इसी रास्ते से आता है। वहां के किसानों के खिलाफ कार्रवाई भी आसानी से स्थानीय प्रशासन से कराना संभव नहीं होता। इसके बाद भी यूपी सिंचाई विभाग के अधिकारी प्रतिवर्ष कुछ किसानों के विरुद्ध पानी चोरी की रिपोर्ट दर्ज कराते हैं। पानी को लेकर पानी-पानी हो रहे दोनों राज्यों का मसला दिन रोज उलझता ही जा रहा है। राजस्थान को हरियाणा की गुणगांव केनाल, भरतपुर फीडर, डीग स्केप एवं फतेहपुर सीकरी ब्रांच से पानी दिया जाता है। बताया जाता है कि राजस्थान फतेहपुर सीकरी सेक्सन के पानी को आंकता ही नहीं। इसकी जमाबंदी भरतपुर तहसील में जमा होती है। यूपी का इस सींच का करीब 27 लाख राजस्थान पर बकाया है। इधर एक मसला यह भी है कि राजस्थान ओखला से अपनी सीमा तक पानी देने के नाम पर आगरा केनाल के रखरखाब के लिए कोई धन यूपी को नहीं देता। यहां यह भी बताते चलें कि यमुना में दिल्ली एवं ऊपरी हिस्से में हिमांचल प्रदेश का भी हिस्सा है। बात यही खत्म नहीं होती हरियाणा को पानी यूपी की आगरा कैनाल चैनल से दिया जाता है। |
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