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मंगलवार, 5 अप्रैल 2011

यूपी के पैसे से बन रहे राजस्थान में पुल


 

भरतपुर फीडर के पुलों की मरम्मत के लिए खर्च किया जा रहा धन व्यय
. विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी का गांव होने के चलते हो रही कवायद . राजस्थान सरकार से आगरा ने मांगा आधा पैसा .
 दिलीप कुमार यादव
मथुरा। देश की आजादी के बाद ऐसा पहली बार हुआ है जब राजस्थान के भरतपुर फीडर के पुलों की मरम्मत के कामों पर यूपी सरकार एक करोड़ रुपया खर्च कर रही है। अभी तक राजस्थान सरकार भरतपुर फीडर में पानी के ठीक संचालन के लिए सफाई के लिए यूपी सरकार को धन देती रही है।
उत्तर प्रदेश के सिंचाई विभाग के एक प्रमुख अधिकारी राजस्थान की डीग तहसील के निवासी हैं। उनके इस गांव तक भरतपुर फीडर से पानी पहुंचाने की कवायद में कई महीने से जनपद के अधिकारी लगे हैं। मंडलीय अधिकारी हों या मुख्य अभियंता सभी का दबाव इस काम के लिए बताया जाता है। ओखला में इस मसले को लेकर कई बार अधिकारियों को डांट भी पिलाई जाती रही है। इसका खुलासा भी तब हुआ जब अधिकारियों के भरतपुर फीडर की ओर आए दिन दौरे होने लगे और उनके कार्यालय से किसान बैरंग होने लगे।
सिंचाई विभागीय सूत्रों की माने तो भरतपुर फीडर भरनां हैड से निकलता है। यहीं से अड़ींग रजबहा निकलता है। इससे सौंख तक का क्षेत्र सींचा जाता है। भरतपुर फीडर नीचा पड़ता है। सदैव यह समस्या बनी रहती है कि भरतपुर फीडर के शुरुआती भाग में रहने वाले यूपी के किसान फीडर में पानी तोड़ ले जाते हैं।
फीडक के गेटों को भी तोड़ चुके हैं। इसके चलते अड़ींग रजबहा में पानी का संकट बना रहता है। इस संकट की ओर स्थानीय अधिकारी कोई ध्यान नहीं देते हैं। इसे इस वरिष्ठ अधिकारी का प्रयास ही मानिए कि भरतपुर फीडर के सात पुलों के जीर्णाेद्धार के लिए यूपी सरकार ने एक करोड़ रुपया दिया है।
इसके पीछे तर्क यह दिया गया है कि इन पुलों से यूपी के लोग भी गुजरते हैं।
इधर जब अपर खण्ड आगरा कैनाल के एक्सईएन आरके रस्तोगी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उन्होंने राजस्थान से आधे पैसे की मांग की है। उल्लेखनीय है वर्ष 2002 में राजस्थान सरकार ने आगरा कैनाल से भरतपुर फीडर के भरनां हैड तक के अड़ींग रजबहा की सफाई के लिए एक लाख रुपया दिया था। कुल मिलाकर मुद्दा यह है कि यूपी के खजाने से राजस्थान को सींचने में कोई बुराई नहीं, लेकिन यह स्थानीय किसानों के हितों की अनदेखी करके करना ठीक नहीं।

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