केन्द्र से वित्तपोषित योजना में डेढ़ साल में लाभान्वित हुए 1.74 लाख बीपीएल परिवार
दिलीप कुमार यादव
मथुरा। गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों का कुपोषण और सामान्य जरूरतें पूरी करने में बैकयार्ड पॉल्ट्री अहम हो सकती है। 11वीं पंचवर्षीय योजना के डेढ़ साल में 3 लाख 85 हजार में से एक लाख 74 हजार परिवारों को इस योजना के माध्यम से लाभान्वित किया जा चुका है। पूरी तरह केन्द्र से वित्त पोषित इस योजना का उद्देश्य बगैर लागत वाले मुर्गी पालन को बढ़ाना है। साथ ही गरीब परिवारों के बच्चों के कुपोषण को दूर करना है।
खेती और उससे जुड़े घटकों में से एक बैकयार्ड पॉल्ट्री ;मुर्गी पालनद्ध है। 11वीं पंचवर्षीय योजना में वर्ष 2009 में मुर्गी पालन को गरीबी दूर करने का साधन मानकर शुरू किया गया। इस योजना के तहत 17 राज्यों को 38 करोड़ रुपया केन्द्र सरकार के कृषि मंत्रालय से दिया गया। भारत सरकार के कृषि मंत्रालय में ज्वॉइंट कमिश्नर पॉल्ट्री डॉण् पीके शुक्ला ने ष्कल्पतरु एक्सप्रेसष् से खास मुलाकात में बताया कि रूरल बैकयार्ड पॉल्ट्री डेवलपमेंट स्कीम के अन्तर्गत पंचायत राज विभाग के माध्यम से राज्य सरकार बीपीएल परिवारों का चयन करती है। एक परिवार को तीन चरणों में कुल 45 चूजे निरूशुल्क प्रदान किए जाते हैं।
लाभार्थी को 750 रुपये की आर्थिक मदद मुर्गियों के लिए दड़बा बनाने को दी जाती है।
उन्होंने बताया कि जिन इलाकों व राज्यों में बैकयार्ड पॉल्ट्री की ओर ध्यान दिया है वहां चूजों की उपलब्धता के लिए मदर यूनिटें भी खुलवाई गई हैं। इनमें 0 से 4 हञ्जते के चूजे तैयार किए जा रहे हैं। इन्हें प्रोत्साहित करने के लिए एक लाख रुपये तक की लागत वाली यूनिट पर 20 प्रतिशत अनुदान केन्द्र दे रहा है। इसके अलावा 36 हजार का ब्याज मुक्त ऋण बैंक से दिलाया जा सकता है। मदर यूनिट इसलिए खुलवाई जा रही हैं ताकि बैकयार्ड पॉल्ट्री के फायदे समझ कर जरूरतमंद खुद खरीदकर भी इस काम को जारी रख सकें। मदर यूनिटों से 100 प्रतिशत चूजे खरीदने की व्यवस्था भी सरकार ने की है। उन्होंने बताया कि इस योजना का उद्देश्य बहुत ज्यादा धनाजर्न नहीं है। मुर्गी पालक प्राप्त अण्डों को बाजार की मांग के अनुसार बेचकर अपना घर चला सकता है। धन का बिल्कुल अभाव हो तो उपचार आदि के लिए मुर्गी बड़ी होने पर कुछेक को बेचकर अपना काम चला सकता है।
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