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रविवार, 9 जून 2013

थैलियों से करें फलों की सुरक्षा


थैलाबंदी तकनीक फलों को बचाए रखने और उनकी गुणवत्ता में सुधार के लिए कारगर पाई गई है। इससे फलों का रंग प्रभावित नहीं होता। तोड़ने के दौरान गिरकर फल बदरंग नहीं होते। इसके अलावा कई फलों के फटने, कीटों के प्रभाव से बचाने एवं भण्डारण के दौरान उत्पन्न होने वाले विकारों से यह तकनीक बचाती है।
फलोत्पादन के दौरान उन्हें सुरक्षित और सुंदर बनाए रखने के लिए किसान कई तरह के फफूंदी नाशक एवं कीटनाशकों का प्रयोग करते हैं। इसका प्रभाव फलों में रह जाता है। इसके चलते इनका आहार बनाने वाले लोगों पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। बागों में जहरों का छिड़काव भी आसान नहीं लेकिन बगैर जहर के फलों को स्वस्थ और सुंदर बनाने में थैलाबंदी एक साधारण दिखने वाली असाधारण विधि है।
थैलीबंदी का चलन कुछ देशों में भी है, जिनमें चीन, जापान, अमेरिका आदि प्रमुख हैं।
आम में थैलाबंदी तुड़ाई से 45 दिन पूर्व,अमरूद में तुड़ाई से छह से नौ सप्ताह पहले खड़े पौधे पर थैली लगाई जाती हैं।
सभी फलों में थैलाबंदी एक निर्धारित समय पर ही की जाती है। भारत में रिलायंस कंपनी ने अनार की थैलाबंदी के लिए विशेष प्रकार की थैलियां बनाईं। कई मामलों में स्पन, मोमी पेपर, नाईलोन, टेलिफोन बुक पेपर, ब्रांडेड कपड़े आदि के थैले काम में लिए जाते हैं।

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