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सोमवार, 7 मार्च 2011

पशुपालन को मिलेगा जीवनदान
मथुरा। पशुपालन बहुत श्रमसाध्य और महंगा काम है। इसे आज भी देश के ग्रामीण अंचल मंे किसान व शहरों में कुछ विशेष लोग परंपरागत रूप से करते आ रहे हैं। इस काम में लगे लोगों का सालों का अनुभव भी अब जबाव देने लगा है। कीमती पशुओं में बांझपन जैसी समस्याओं के चलते यह घाटे का सौदा सिद्ध हो रहा है। खल, रातब और चोकर जैसी चीजों से भी पशुओं में वह दम खम नहीं दिखता जो पर्याप्त खुराक के बाद दिखना चाहिए। दूध की पौष्टिकता और उपभोग करने वाले लोगों के स्वास्थ्य से इसका सीधा जुड़ाव है। यह सब इस लिए हो रहा है कि जमीन में इलाकाई स्थितियों के अनुरूप अलग अलग तत्वों की कमी हो गई है। इनका नतो पशुपालकों को पता होता है और नहीं इनकी भरपाई की दिशा में वह कुछ कर पाते हैं। अब इस काम को केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान के विज्ञानियों द्वारा तैयार एरिया स्पेसिफिक मिनरल मिक्चर करेगा। 
इस मिक्चर को तैयार करने से पहले यहां के वैज्ञानिकों ने प्रदेश भर से हजारों मिट्टी, पानी, चारा व पशुओं खून के नमूने लेकर उनका गहन अध्ययन किया। इसके आधार पर यह तय किया कि किन इलाकों मंे किन तत्वों की कमी है। इसके बाद उन तत्वों की कमी की पूर्ति करने वाला मिक्चर तैयार किया।
इस काम को अंजाम देने वाले वैज्ञानिक डा यूबी चौधनी ने इस मिक्चर के विषय में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जितने लवण हैं उनमें से किसी एक की कमी भी पशु हो या मानव, सभी के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है। पशुओं में इससे प्रमुखतः प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है। इससे पशु गर्मी में नहीं आते और उन्हें बूचड़खाने में कटाने जैसी स्थितियां बनती हैं। इससे पशुपालकों को मोटा नुकसान होता है।
उन्होंने बताया कि नमूनों के विश्लेषण से पाया कि मथुरा में फास्फोरस, कोपाट, कापर, जिंक, पोटास तत्वों की कमी है। कमी वाले तत्व पशुओं को दे दिए जाएं तो पशुओं की बहुतसी बीमारी रोकी जा सकती हैं। मथुरा, आगरा, अलीगढ़, हाथरस, मेंनपुरी एटा आदि जिलों के लिए मिनरल मिक्चर बनाने से पहले उन्होंने इलाके वार तत्वों की कमी को आधार बनाया। कमी वाले तत्वों की पर्ति करने वाला मिक्चर इसी आधार पर बनाया गया।
तैयार मिक्चर का उन्होंने अनेक किसानों को निशुल्क वितरण कर इसके लाभ देखे हैं। 90 प्रातिशत पशुओं को यह मिक्चर देने से रोगों की समस्या भी घटी और उनमें गर्भाधान की समस्या भी कम देखी गई है। बकरी संस्थान पर जिन बकरियों को मिक्चर खिलाया गया उनके दुग्ध और मीट उत्पादन में खासा इजाफा दर्ज किया गया। इसकी मात्रा के विषय में उन्होंने बताया कि गाय भेंस को  25 से 30 ग्राम एवं बकरी में 5 ग्राम मात्रा प्रतिदिन के लिए पर्याप्त होती है। बाजार मंे इस तरह के मिक्चार 80 रुपए प्रति किलो ग्रामा की दर से मिलते हैं। खास बात यह है कि इन्हें क्षेत्र विशेष की जरूरत के हिसाब से नहीं बनाया जाता। इससे पशुओं को गैर जरूरी तत्वा भी मिल जाते हैं। इससे फायदे की बजाय नुकसान भी होता है। उनके मिक्चर की कीमत 20 रुपए प्रति किलोग्राम आ रही है। अभी वह प्रयोग के तौर पर इसे पशुपालकों को निःशुल्क बांट रहे हैं। उन्होंने उत्तर प्रदेश के अन्य भागों के हिसाब से भी मिक्चर बनाया है। पूर्वी यूपी के लिए मिक्चर अलग है। उनका मानना है कि यदि पशुपालक इस तरह के मिक्चरों को अपनाएं तो देश मंे दुग्ध उत्पादन एवं रोग नियंत्रण में बहुत बड़ी क्रांति आ जाएगी।
यह मिक्चर अभी आम किसान की पहुंच में आने के कारण इनार्गनिक फार्म में बनाया गया है। आर्गनिक फार्म के मिक्चर की कीमत ज्यादा आती है। इस मिक्चर के परिणाम देखने के इच्छुक किसान डा चौधरी के मोबाइल नंबर 09411964676 पर संपर्क कर सकते हैं।

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