मीट परपज वाली बजनी मुजफ्फर नगरी भेड़ ने जने बच्चे
ज्यादा बच्चे जनने वाले जैनोटाइप को विकसित करने में मिलेगी मदद
दिलीप कुमार यादव/मथुरा। मुजफ्फर नगरी भेड़ ने देश में पहली बार केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान में एकसाथ तीन बच्चों को जन्म दिया है। इससे पूर्व फील्ड एवं किसी संस्थान में इतने बच्चे नहीं जने गए। मांस के परपज वाली इस किस्म पर भारता और एशिया के कई देशों में यहीं काम हो रहा है। तीन बच्चे देने वाली इस भेड़ से ज्यादा बच्चे देने वाले जैनोटाइप के विकास में मदद मिलेगी।
भेड़ परियोजना पर काम कर रहे डा0 गोपाल दास ने बताया कि देश में कुल 42 नस्लें पाई जाती हैं। इनमें से मुजफ्फर नगरी प्रजाति सबसे ज्यादा बजनी होती है। इसे सर्वाधिक मांस उत्पादक नस्ल के रूप में जाना जाता है। बडे़ आकार के कारण यह अधिकतर एक बच्चे को ही जन्म देती है। पांच छह फीसदी केसों में ही दो बच्चे जने जाते हैं। वह अपनी अनुसंधान परियोजना में ज्यादा बच्चे देने वाले पशुओं को अलग करके रखते हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फर नगर इलाके में भी उन्होंने इस पर अध्ययन किया है। यहां भी दो बच्चों से ज्यादा का मामला प्रकाश में नहीं आया है।
इस प्रजाति पर मखदूम स्थित संस्थान में 1972 मंे काम शुरू हुआ। यहां इसकी जनन दर, ऊन उत्पादन एवं शारीरिक भार को लेकर शोधकार्य जारी है। अनुसंधान कार्याें से इस नस्ल में दो मैमने पैदा करने वाली भेड़ों का प्रतिशत 11 हो गया है। इसके लिए सलेक्शन ब्रीडिंग के साथ कुछ आधुनिक तकनीक प्रयोग में लाई गई हैं। संस्थान में नौ मार्च को भेड़ संख्या 6688 ने जन्म तीनों मैमनों का कुल बजन 3.7 किलोग्र्राम है। इनमंे से दो नर व एक मादा है। इस नस्ल की भेड़ जब एक मैंमना पैदा करती है तो उसका बजन 3.5 से चार किलोग्राम होता है। दो बच्चे जनने पर उनका कुल बजन पांच किलोग्राम के करीब होता है।
उन्होंने बताया कि यदि वह आगे इस जेनोटाइप को तेजी से विकसित कर पाए तो पशुपालकों को आधे समय में दोगुना मांस मिल पाएगा। एक बच्चा देनी वाली भेड़ जब तीन बच्चे देगी और मीटर परपज से बिकेगी तो पशुपालक को दोगुना लाभ तो होही जाएगा। संस्थान के निदेशक डा0 देवेन्द्र स्वरूप ने भेड़ परियोजना के मुख्य अनुवेशक एवं समस्त सहयोगी टीम को बधाई दी है।
तीनों बच्चों का बजन कुल 3.7 किलोग्राम है। आमतौर पर एक बच्चा जनने वाली इस भेड़ के अकेले मैमने का बजन 3.5 से चार किलो एवं दो का पांच किलोग्राम तक होता है। संस्थान में 35 वर्ष से चल रही है।
किस किस रेम में एक से ज्यादा बच्चा पैदा करने की क्षमता वाले पशुओं को चयन किया है। कॉफी सालों के एक दो केस और हैं जिन्होंने दो बच्चे दिए हैं। इस रेंम को मैक्सीमम यूज करेंगे। आईसीआर मुजफ्फर
पांच से छह प्रतिशत दो बच्चे देती है। कम समय में ज्यादा बच्चे मिल जाएंगे। ज्यादा बजनी होने से मांस का उत्पादन बढे़गा।
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