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शनिवार, 12 मार्च 2011

इलैक्ट्रोनिक्स कारोबारी डा. आरके गुप्ता ने मशरूम से बदला अपना जीवन

अपने खेतों से बिछड़ने की सजा पाता हूं मैं
मशरूम के गुणवत्ता युक्त उत्पाद के लिए होम्योपैथिक दवाओं का करते हैं उपयोग
मथुरा। ‘ये जो खुद को राशन की कतारों में खड़ा पाता हूँ  में, अपने खेतों से बिछड़ने की सजा पाता हूँ  में’। यह शेर चाहे जिसका हो लेकिन मथुरा के व्यापारी परिवार में जन्मे डा. आरके गुप्ता ने खेती को अपनाकर इस सजा से खुद को मुक्त किया है। मशरूम की ख्ोती को  उन्होंने प्रयोगधर्मिता के आधार पर शुरू किया है। होम्योपैथिक दवाओं के प्रयोग से उन्होंने अपने उत्पाद में कई खूबियां पैदा की हैं। इसके चलते उनके पास दिल्ली, बंग्लौर, जयपुर तक से डिमांड बनी रहती है।
बीकाम, एलएलबी के बाद इलेक्ट्रोनिक्स के जाने माने इस करोबारी की सनक ने उन्हें फिर खेती से जोड़ दिया। वह कहते हैं कि दिन व दिन सिकु़ड़ती कृषि भूमि का विकल्प कंट्रोल कंडीशन में तैयार होने वाले मशरूम जैसे पोषक उत्पाद बनेंगे। हाईड्रोपोनिक्स खेती' सिकु़ड़ती जमीन का विकल्प होगी। एक कोल्ड में वह 10 एक़ड जमीन के बराबर क्ष्ोत्रफल में मशरूम की खेती कर रहे हैं।
मशरूम की ख्ोती ने उनका जीवन ही बदल डाला। खास बात यह है कि वह मशरूम का जैविक उत्पादन कर रहे हैं। इसमें आने वाली हानिकारक फफूंद होम्योपैथिक दवाओं से करते हैं। उनके उत्पाद काफी स्वस्थ्य बना रहता है। इसी लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने उन्हें तीन से पांच मार्च तक चलने वाले कृषि विज्ञान मेले में नवोन्मेषी कृषक सम्मान से नवाजा है। वह कहते हैं कि मशरूम उत्पादक देश के किसानों को भूसे का उपयोग करते हैं। यदि सरकार देश में मशरूम उत्पादन को बढ़ावा देते हुए विशेष हब बनाए तो कुपोषण की समस्या से काफी निजात दिलाई जा सकती है। इसके साथ ही मशरूम से प्राप्त खाद का प्रयोग जैविक खेती को बढ़ावा देगा। इस ओर ज्यादा ध्यान देने के साथ ही देश में संक्रामक बीमारियों का प्रभाव भी घटेगा। मीट उत्पादन बढ़ाने की दिशा में हो रहे प्रयासों से ज्यादा जरूरी है कि मशरूम उत्पादन बढ़ाने की दिशा में प्रयास हो। सरकार इसे आम प्रचलन में लाने के लिए उपभोक्ता को सब्सिटी रेट पर देने का प्राविधान भी कर सकती है। अधिक जानकारी के लिए उनके मोबाइल नंबर 09412728900 पर संपर्क किया जा सकता है।

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