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शनिवार, 12 मार्च 2011

भूले बिसरे..खेती लोक गीत

 

छोटी मिरच बड़ी तेज बलमा,
मोय छोटी न जानौ।
जैसे सड़क पै मोटर चलत है,
वैसे-वैसे चलाय दूंगी तोय बलमा, मोय..
जैसे गगन में पतंग उड़त है,
वैसे-वैसे उड़ाय दूंगी तोय बलमा, मोय..
जैसे जुलाहा रुई धुनत है,
वैसे-वैसे धुनाय दऊं तोय बलमा, मोय..
जैसे कढ़ैया में पूड़ी सिकत है,
वैसे-वैसे सिकाय दऊं तोय बलमा, मोय
जैसे बनन में मोर नाचत है,
वैसे-वैसे नचाय दूंगी तोय बलमा, मोय छोटी न जानौ। 
*किसी जमाने में यह लोकगीत हर महिला की जुबान पर चढ़ा रहा।
*आकाशवाणी गायक, एकता अग्रवाल

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