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शनिवार, 12 मार्च 2011

कृषि से मोहभंग ठीक नहीं


तीन दिवसीय पूसा के किसान मेले में कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री ने कहा
उत्कृष्ट किसानों को किया गया सम्मानि, लिया तकनीकी ज्ञान
नई दिल्ली से लौटकर।
मथुरा। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा में तीन दिवसीय किसान मेले का समापन हो गया। इसमें राज्य मंत्री कृषि एवं खाद्य प्रसंस्कण उद्योग भारत सरकार हरीश रावत ने उत्कृष्ट किसानों को सम्मानित किया। उन्होंने कृषि में मृदा उत्पादकता, कृषि की और से मोहभंग  होने, जलवायु परिवर्तन से घटती किसानों की आमदनी पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि समरकार इन समस्याओं को लेकर चिंतित है और इस दिशा में समाधान के सार्थक प्रयास किए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि प्रसंस्करण का उपयोग करने की आदत बढ़ने से भी  किसानों का लाभ  बढ़ सकता है। इस दिशा में किसानों को जागृत करने की ज्याद जरूरत है।
इस अवसर पर संस्थान के निदेशक हरिशंकर तिवारी ने कहा कि यहाँ कृषि क्षेत्र की प्रत्येक चुनौती को लक्ष्य करके अनुसंधान किए जा रहे हैं। कृषि की लागत घटाकर उत्पादन बढ़ाने के हर पहलू पर हमारे वैज्ञानिक काम कर रहे हैं। जरूरत इस बात की है कि किसान उन तकनीकों को पहले प्रायोग के तौर पर अपनाएं तो उन्हों ला•ा का पता खुदव खुद चल जाएगा। पूसा संस्थान की मुफ्त दूरभाष सेवा 1800-11-8989 का फायदा किसान उठा सकते हैं।  उन्होंने मीडिया कर्मियों से अपील की कि किसानों को वर्तमान चुनौतियों से निपटने के लिए पर्यावरणीय बदलावों से जुड़ी जानकारी तत्काल देने की जरूरत है। मीडिया ने इस क्षेत्र में सजगता रखी है। इसे इसी तरह जारी रखा जाए तो देश के किसानों को बहुत आर्थिक एवं सामाजिक लाभ  हो सकता है। इस मौके पर पौध किस्म अधिकार और किसान अधिकार संरक्षण प्राधिकरण के अध्यक्ष डा. पीएल गौतम ने कहा कि किसानों के अपने अधिकारों के मामले में सजगता लानी होगी। प्राधिकरण इसके लिए काम कर रहा है। किसान भी  प्राधिकारण कार्यालय में संपर्क कर सक ते हैं। किसानों को प्राधिकरण सरल तरीके से अपनी तकनीक आदि पेटेंट कराने में मदद कर रहा है। कई किसानों की परंपरागत व नव विकसित किस्में इसके तहत पेटेंट हुई हैं। भारतीय पशु चिकिस्ता अनुसंधान संस्थान के निदेशक डा. एमसी शर्मा ने कहा कि ग्लावल वार्मिंग की समस्या का असर पशुपालन उद्योग पर पड़ रहा है। इसके अनुरूप अनुसंधान कार्या को तेज किया गया है। संस्थान द्वारा विकसित तकनीक किसानों तक पहुंचाने के लिए भी  वह कई प्रयोग कर रहे हैं। पशुपालकों को तकनीक  शीघ्र लाभ होगा।

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