कथाओं से करोड़ों के वारे न्यारे
दो हजार कथा वाचकों के साथ मूलपाठी पंडित, लीला आचार्य आदि को मिला काम
अकेले कथा वाचकों की होगी 20 करोड़ की आय
दिलीप कुमार यादव
मथुरा। आध्यात्मिक आयोजनों में श्रीमद् भागवत कथा प्रमुख हैं। कथाओं में बरसने वाला भक्ति भाव बेमोल बिक रहा है और इससे ब्रज के हजारों लोगों के परिवार चल रहे हैं। एक अनुमान के मुताबिक सामान्य कथावचक को वर्ष के चार माह कथा कहने को मिल जायें तो 20 करोड़ की आय उनकी हो जायेगी। समान्य कथा वाचक एक हफ्ते की कथा के 25 हजार से कम नहीं लेते।
यूंतो ब्रज के कथा वाचकों की एक-एक कथा की व्यवस्था आदि का पूर्ण खर्चा 50 लाख तक पहुँच जाता है लेकिन समान्य कथाकारों का आकलन bhi चोंकाने वाला है। ब्रज के दो हजार •ाागवताचार्य महीनों से बिजी हैं। इन लोगों की बुकिंग खत्म नहीं हो रही हैं। आध्यात्म के साथ धनार्जन का कारोबार दिनों दिन फल फूल रहा है।
कथाकार •ाी तीन श्रेणियों के हैं। ए, बी और सी। यदि पहली श्रेणी के कथाकारों की बात करें तो वह पूरे साल देश और विदेश में बुक रहते हैं। विश्राम के लिये वह स्व इच्छा से ही बुकिंग रोकते हैं। बड़ा कथाकार होना स्टेटस सिंबल बन गया है। इसके लिये बड़े तामझाम की जरूरत होती है। एकड़ों में फै ले पण्डाल, जगह-जगह स्क्र ीन का लगा होना, म्यूजिक एक्सपर्ट, गायक, रासलीला करने वाले सब कथा वाचकों के साथ जुडेÞ होते हैं।
वृन्दावन के मृदुल कृष्ण शास्त्री पिछले महीनों में हैदराबाद, दिल्ली एवं स्विटजरलेण्ड तक कथा कहा आये। गौरव कृष्ण गोस्वामी हरिद्वार, दिल्ली, लुधियाना, अनुराग कृष्ण शास्त्री क्रूज पर कथा करके आये हैं। यह वह कथा वाचक हैं जिनकी कथाओं के प्रसारण पर लाखों रुपया हर दिन चैनलों के लिये खर्च किया जाता है। स•ाी के मैनेजन कथाओं को मैनेज करते हैं।
ए गे्रड के कथा वाचकों के मैनेजरों से बात करनी चाही तो वह खर्च की बात सुनकर चुप हो गये और बोले यह तो महाराज जी ही बतायेंगे। वह अ•ाी कथा कह रहे हैं।
मथुरा। भागवताचार्य बनने के लिये बृन्दावन में बकायदा स्कूल चलते हैं। युवओं को कथाकार बनने के नियम कानून और कायदे बताये जाते हैं। कथा कहने के लिये घण्टों एक ही स्थान पर जमे रहने का अ•यास शुरू से ही कराया जाता है। संगीत के आधुनिक संयंत्रों के प्रयोग के चलते उन्हें संगीत का सामान्य ज्ञान bhi कराया जाता है।
दो हजार कथा वाचकों के साथ मूलपाठी पंडित, लीला आचार्य आदि को मिला काम
अकेले कथा वाचकों की होगी 20 करोड़ की आय
दिलीप कुमार यादव
मथुरा। आध्यात्मिक आयोजनों में श्रीमद् भागवत कथा प्रमुख हैं। कथाओं में बरसने वाला भक्ति भाव बेमोल बिक रहा है और इससे ब्रज के हजारों लोगों के परिवार चल रहे हैं। एक अनुमान के मुताबिक सामान्य कथावचक को वर्ष के चार माह कथा कहने को मिल जायें तो 20 करोड़ की आय उनकी हो जायेगी। समान्य कथा वाचक एक हफ्ते की कथा के 25 हजार से कम नहीं लेते।
यूंतो ब्रज के कथा वाचकों की एक-एक कथा की व्यवस्था आदि का पूर्ण खर्चा 50 लाख तक पहुँच जाता है लेकिन समान्य कथाकारों का आकलन bhi चोंकाने वाला है। ब्रज के दो हजार •ाागवताचार्य महीनों से बिजी हैं। इन लोगों की बुकिंग खत्म नहीं हो रही हैं। आध्यात्म के साथ धनार्जन का कारोबार दिनों दिन फल फूल रहा है।
कथाकार •ाी तीन श्रेणियों के हैं। ए, बी और सी। यदि पहली श्रेणी के कथाकारों की बात करें तो वह पूरे साल देश और विदेश में बुक रहते हैं। विश्राम के लिये वह स्व इच्छा से ही बुकिंग रोकते हैं। बड़ा कथाकार होना स्टेटस सिंबल बन गया है। इसके लिये बड़े तामझाम की जरूरत होती है। एकड़ों में फै ले पण्डाल, जगह-जगह स्क्र ीन का लगा होना, म्यूजिक एक्सपर्ट, गायक, रासलीला करने वाले सब कथा वाचकों के साथ जुडेÞ होते हैं।
वृन्दावन के मृदुल कृष्ण शास्त्री पिछले महीनों में हैदराबाद, दिल्ली एवं स्विटजरलेण्ड तक कथा कहा आये। गौरव कृष्ण गोस्वामी हरिद्वार, दिल्ली, लुधियाना, अनुराग कृष्ण शास्त्री क्रूज पर कथा करके आये हैं। यह वह कथा वाचक हैं जिनकी कथाओं के प्रसारण पर लाखों रुपया हर दिन चैनलों के लिये खर्च किया जाता है। स•ाी के मैनेजन कथाओं को मैनेज करते हैं।
ए गे्रड के कथा वाचकों के मैनेजरों से बात करनी चाही तो वह खर्च की बात सुनकर चुप हो गये और बोले यह तो महाराज जी ही बतायेंगे। वह अ•ाी कथा कह रहे हैं।
द्वितीय श्रेणी के कथा वाचकों में श्रीवत्स गोस्वामी, राजा बाबा महाराज, श्रीजी बाबा, राधाकांत शास्त्री, श्रीकांत शास्त्री, आचार्य लाड़ली दीक्षित, विष्णु दीक्षित, रमाकांत गोस्वामी, राधा बिहारी गोस्वामी आदि सैकड़ों हैं। यह वह लोग हैं जो पैसे को लेकर ज्यादा खींचतान नहीं करते। दो हजार कथा वाचकों को वर्ष के चार महीनों में एक-एक कथा कहने को मिले तो आय 20 करोड़ हो जाती है। ऐ श्रेणी के लोगों की आय इसमें शुमार नहीं है। इससे ज्यादा यह स•ाी लोग गुजरे अधिक मास में कमा चुके हैं। ब्रज का भक्ति भाव bhi बेमोल बिक रहा है।
कथाकारों के चलते हैं प्रशिक्षण केन्द्रमथुरा। भागवताचार्य बनने के लिये बृन्दावन में बकायदा स्कूल चलते हैं। युवओं को कथाकार बनने के नियम कानून और कायदे बताये जाते हैं। कथा कहने के लिये घण्टों एक ही स्थान पर जमे रहने का अ•यास शुरू से ही कराया जाता है। संगीत के आधुनिक संयंत्रों के प्रयोग के चलते उन्हें संगीत का सामान्य ज्ञान bhi कराया जाता है।
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