वेटरिनरी विश्वविद्यालय के डेरीफॉर्म में खरीदकर लाई गई 69 साहीवाल नस्ल की गाय
मथुरा। गायों को लोने में विवि प्रशासन के लोगों ने शासनादेश और नियम कानून को ताक पर रख दिया। ज्ञात हुआ है कि 69 पशु छह वाहनों में लाए गए। यह मानकों के बिल्कु ल विपरीत बताया गया है। एक वाहन में आराम से छह-सात से ज्यादा पशु नहीं आ सकते।
मुर्रा भें सों के बाद आई इन गायों को लाने में कोताही से मरा एक बछड़ा
मथुरा। वेटरिनरी विश्वविद्याल में पहली बार साहीवाल नस्ल की 69 गाय खरीदकर लाई गई हैं। इनमे से चार ने रास्ते में ही बच्चों को जन्म दे दिया। एक बच्चे की मृत्यु हो गई। एडवांस प्रिगनेंसी वाले पशुओं को विवि के जिम्मेदार लोग किस आधार पर ट्रवल कराकर लाए पता नहीं। लाखों रुपए की यह खरीद पाकिस्तान बार्डर के निकटस्थ अबोहर एवं पजल्का क्षेत्र से की गई है। इससे नस्ल सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य हो सकेंगे।कुलपति डा. ऐपी सिंह ने नस्ल सुधार की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। डेरी फार्म पर इससे पूर्व मुर्रा किस्म की भेंस खरीदकर लाई गई। सोमवार को यहाँ साहीवाल किस्म की गाय लाई गई हैं। इन नस्लों के आने से इलाके के लोगों को बाहरी नस्लों के पशुओं का सीमन मिल सकेगा। अच्छे दुग्ध उत्पादन के लिए जानी जाने वाली यह गाय पाकिस्तान के सीमावर्ती अपने इलाकों से लाई गई हैं। करीब 20 लाख रुपए की इस खरीद में कुल 69 पशु आए हैं। इनमें से 14 छोटे नर-मादा बछडेÞ हैं। इसके अलावा 33 गाय हैं जिनमें से 23 दूध दे रही हैं। बाकी गाभिन हो सकती हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि दूध देने वाली गायों की संख्या के सापेक्ष 36 गाय वह हैं जो एक साल से ऊपर की हो चुकी हैं लेकिन अभी तक मां नहीं बनी हैं। यह पशु गरभाधान से लेकर गाभिन होने तक विवि प्रशासन के लिए चुनौती बनेंगे। जानकारों की मानें तो साहीवाल नस्ल ढ़ाई से तीन साल की होने पर गाभिन होती है। पशुओं की खरीद का क्या पैमाना था। इसकी जानकारी देने के लिए परचेजिंग कमेटी के अध्यक्ष एवं एनीमल जैनेटिक एण्ड ब्रीडिंग के एसोसिएट प्रोफेसर डा. विजय कुमार सिंह से वार्ता करनी चाही लेकिन उनसे मुलाकात व बात नहीं हो सकी। उधर कुलपति किसी मीटिंग में बाहर गए हुए हैं। खरीद मामले में यदि कहीं कमियां हुई हैं उनकी जांच पड़ताल के लिए विवि प्रशासन के अनेक लोग मौजूद हैं लेकिन नस्ल सुधार की दिशा में इस नस्ल का उपयोग हो सकेगा। विवि में विशेष किस्म की नस्लों के आने से क्षेत्र में पशुधन विकास की नई संभावनाएं जन्म ले रही हैं।
छह वाहनों में 69 पशुमथुरा। गायों को लोने में विवि प्रशासन के लोगों ने शासनादेश और नियम कानून को ताक पर रख दिया। ज्ञात हुआ है कि 69 पशु छह वाहनों में लाए गए। यह मानकों के बिल्कु ल विपरीत बताया गया है। एक वाहन में आराम से छह-सात से ज्यादा पशु नहीं आ सकते।
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