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रविवार, 13 मार्च 2011

गोकुला जाट ने सुखाया था औरंगजेब का हलक

 
सिहोरा में मुगल फौजदार से जुडे माने जाते हैं गोकु ला के तार
हरियाणा के तिलपत में लड़ी जंग, जाजिया का किया विरोध
मथुरा। गोकुला जाट वह शख्स था जिसने आरंगजेब के जाजिया कर के विरोध में असहयोग आन्दोलन की शुरुआत गांधी युग से शदियों पहले कर दी। शासनी डीग क्षेत्र के रहने वाले इस जाट फौजदार ने मुगलों की चूलें हिला दीं।
औरंगजेब ने ब्रज के लोगों पर जाजिया कर थोपा। इसके विरोध में कोई आवाज नहीं उठी। गोकुला जाट का खून खौल गया। उसने ब्रज के लोगों को इस कर के विरोध में जागृत करना शुरू कर दिया। वह डीग से चलकर मथुरा आया।
माना जाता है कि इसी समय 12 मई 1669 में मुगल फौजदार अब्दुल नवी की सिहोरा के निकट गोकुला के लोगों ने हत्या कर दी। इसी ने चौक की जामा मस्जिद का निर्माण कराया।
गोकुला 28 हजार जाट, गूजर, अहीर, मेव, मीणा, नजूका एवं पवार आदि जातियों को साथ लेकर औरंगजेब के खिलाफ मैदान में उतर आया। औरंगजेब की फौज को लगातर चुनौती देने के कारण औरंगजेब घबरा गया। हरियाणा के  महा•ाारत कालीन स्थल तिलपत से 20 मील दूर दोनों फौजों का आमना समाना हुआ।
गोकुला के अप्रक्षित सिपाहियों ने औरंगजेब के चार हजार सैनिक मार दिए। उसके •ाी तीन हजार साथी मारे गए। तोपखानों से लैस मुगल सेना ने तीन दिन की जंग के बाद चौथे दिन तिलपत के छोटे किलो में छिपे गोकुला के साथियों को पकड़ने के लिये अंत में तोप से गोले दागे। किले में एक छेद से मुगल सैनिक उस समय घुसे जब उन्हें पता चल गया कि औरंगजेब खुद मैदान में पहुँचने वाला है। अंत में मुगल सेना ने गोकुला के सात हजार लोगों को बंदी बना लिया। गोकुला एवं उसके चाचा उदय सिंह को बंदी बनाकर आगरा ले जाया गया। उन्हें मुगल धर्म कुबूल करने को कहा गया। गोकुला के मना करने पर 1 जनवरी 1670 को आगरा कोतवाली के चबूतरे पर फांसी देदी गई। इस समाचार के गोकुला इलाके में पहुँचने पर जाट महिलाओं ने जौहर किया। गिरीश चंद्र द्विवेदी ने अपनी पुस्तक मुगल राज में जाटों की •ाूमिका एवं कर्नल जेम्स टाड ने राजस्थान के इतिहास में लिखा है।

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