अखिल भारतीय संतमत सत्संग के प्रवर्तक गृहस्थ संत सुरेश भाईया ने कहा जिज्ञासु साधकों के लिये बताये जा रहे गृहस्थ में रहकर परमात्मा की प्राप्ति के मंत्र
गोवर्धन। गृहस्थियों के लिये योग साधना सरल है। सांसर में रहते हुए उच्च आध्यात्मिक स्थिति प्राप्त करने की सरल पद्धतियाँ ही सत्संग में सिखाई जाती हैं। इनका लाभ देशभर में करीब 600 केन्द्रों पर हर राज्य में लोग ले रहे हैं। यह विचार अखिल भारतीय संतमत सत्संग दिल्ली के तत्वावधान में आयोजित आध्यात्मिक उत्सव में संत सुरेश भाईया ने व्यक्त किए।
ध्यान योगा•यास के सिद्घान्तों पर प्रकाश डालते हुए संतश्री ने कहा कि संतमत सत्संग की श्रंखला को संतों की कई पीढ़ियों ने आगे बढ़ाया है। जो लोग अनेक स्थानों पर मत्था टेकने के बाद भी प्रभू कृपा नहीं पाते उन्हें संतों के बताये रास्तों के माध्यम से आध्यात्मिक फैज से शराबोर किया जाता है।
उन्होंने आगे कहा कि इतिहास गवाह है कि ज्यादातर संत़ गृहस्थी ही हुए। इसके पीछे कई कारण हैं। गृहस्थ में रहकर साधना और योग सभी आसान हैं, यह इसका प्रमुख कारण है। गृहस्थी अपनी सांसारिक इच्छाओं को पूरा करते हुए आसानी से अपने जीवन को परमात्मा मय कर सकता है।
उन्होंने आगे कहा कि साधना की शुरूआत चाय, नाश्ता एवं भोजन प्रभू की याद में करने से होती है। इससे चित्त वृत्तियों के विकार दूर होते हैं। तदोपरांत सुबह शाम आधा घण्टे की नियमित पूजा और रात्रि में आत्म साक्षात्कार का क्रम शुरू किया जाता है। छोटे छोटे प्रयासों से जीवन में अच्छी आदतें घर कर जाती हैं और साधक का कल्याण हो जाता है। इससे पूर्व संतश्री का कई स्थानों पर पुष्पवर्षा कर स्वागत किया गया।
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