कीमती पशुओं को नये तरीके का चारा खिलाकर ज्यादा पा सकते हैं 20 प्रतिशत दूध
मथुरा। महंगाई सातवें आसमान पर है। दुधरू पशुओं की कीमत भी 50 हजार के पार पहुंच गई है लेकिन पशुपालक अभी भी पुराने ढ़र्रे पर काम कर रहे हैं। पशुओं के लिए पौष्टिक चारा भी किसान नहीं बना पाते। इससे उन्हें पशुओं से खर्चे के अनुरूप दूध नहीं मिल पाता।
सदर स्थित पशु चिकित्सालय के चिकित्सा अधिकारी डा. आर.के. यादव ने पशुपालाकों के लिए खास राय दी है। उन्होंने बताया कि ज्यादातर पशुपालक किसान होते हैं। वह चारी या अन्य हरे चारे को पकने के बाद काटते हैं। इससे होता यह है कि जब फसल में दाने पक जाते हैं तो पौधे में पौषक तत्व कम हो जाते हैं।
उन्होंने बताया कि किसी भी हरे चारे को पकने से पहले काटें। काटने के समय फसल में फूल आने की अवस्था हो तो चारा पोषक तत्वों से भरपूर होगा। हरे चारे को छांवदार स्थान पर सुखाकर भर लें। इस चारे को पशु को पूरे साल खिलाया जा सकता है। इससे दुग्ध उत्पादन में 20 प्रतिशत तक का इजाफा सं•ाव है। उन्होंने यह भी बताया कि यह चारा बिल्कुल इस तरह है जैसे आॅफ सीजन में सफल की मटर की सब्जी लोग घरों में खाते हैं। सीजन पर तो हरा चारा पशुओं को मिल जाता है लेकिन गर्मियों के दिनों में हरे चारे का संकट खड़ा हो जाता है। इस समय में पशुओं के लिये इस तरह का हरा चारा बहुत उपयोगी और स्वादिष्ठ व्यंजन के समान होगा। उन्होंने कहा कि वर्तमान में हरे चारे की भरमार है। इस चारे को सस्ता बेचने के से अच्छा है किसान इसका भण्डारण अभी से शुरू कर दें।
मथुरा। महंगाई सातवें आसमान पर है। दुधरू पशुओं की कीमत भी 50 हजार के पार पहुंच गई है लेकिन पशुपालक अभी भी पुराने ढ़र्रे पर काम कर रहे हैं। पशुओं के लिए पौष्टिक चारा भी किसान नहीं बना पाते। इससे उन्हें पशुओं से खर्चे के अनुरूप दूध नहीं मिल पाता।
सदर स्थित पशु चिकित्सालय के चिकित्सा अधिकारी डा. आर.के. यादव ने पशुपालाकों के लिए खास राय दी है। उन्होंने बताया कि ज्यादातर पशुपालक किसान होते हैं। वह चारी या अन्य हरे चारे को पकने के बाद काटते हैं। इससे होता यह है कि जब फसल में दाने पक जाते हैं तो पौधे में पौषक तत्व कम हो जाते हैं।
उन्होंने बताया कि किसी भी हरे चारे को पकने से पहले काटें। काटने के समय फसल में फूल आने की अवस्था हो तो चारा पोषक तत्वों से भरपूर होगा। हरे चारे को छांवदार स्थान पर सुखाकर भर लें। इस चारे को पशु को पूरे साल खिलाया जा सकता है। इससे दुग्ध उत्पादन में 20 प्रतिशत तक का इजाफा सं•ाव है। उन्होंने यह भी बताया कि यह चारा बिल्कुल इस तरह है जैसे आॅफ सीजन में सफल की मटर की सब्जी लोग घरों में खाते हैं। सीजन पर तो हरा चारा पशुओं को मिल जाता है लेकिन गर्मियों के दिनों में हरे चारे का संकट खड़ा हो जाता है। इस समय में पशुओं के लिये इस तरह का हरा चारा बहुत उपयोगी और स्वादिष्ठ व्यंजन के समान होगा। उन्होंने कहा कि वर्तमान में हरे चारे की भरमार है। इस चारे को सस्ता बेचने के से अच्छा है किसान इसका भण्डारण अभी से शुरू कर दें।
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