वैज्ञानिकों ने तैयार की अनेक किस्म लेकिन गांवों तक पहुँचाने पर पूरा होगा उद्देश्य
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान करनाल के पूर्व अध्यक्ष ने कहा
मथुरा। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान करनाल के पूर्व अध्यक्ष डा. एसएन सिन्हा ने कहा कि कृषि के पितामह डा. एमएस स्वामिनाथन के दौर में पहली कृषि क्रांति भी बीज से हुई लेकिन दूसरी क्रांति उन्नत बीज को किसानों तक त्वरित पहुँचाने से होगी। वैज्ञानिकों ने अनेक श्रेष्ठ किस्में तैयार कर ली हैं लेकिन वह अभी ज्यादातर किसानों की पहुंच से दूर हैं।
वह यहाँ वेटरिनरी गेस्ट हाउस में रुके हुए थे। उन्होंने कहा कि ग्लोवल वार्मिंग हर क्षेत्र में बड़ी चुनौती बन गया है। इससे जूझने को हमारे विज्ञानियों ने गर्मी एवं कड़ी ठंड झेलने वाली किस्में बना ली हैं लेकिन यह आम किसानों तक पहुँचें तब काम चले। उन्होंने कहा कि ग्लोवल वार्मिंग से बासमती की खुशबू गायब हो रही है। उत्तम बीज खेती का आधार होते हैं। जब तक किसानों को इस श्रेणी के बीज नहीं मिलेंगे चाहे जितना उर्वरक डालें उपज नहीं बढेÞगी और खेती ला•ाकारी नहीं होगी। उन्होंने कहा कि अभी तक देश में सीड रिप्लेसमेंट 15 प्रतिशत से बढ़कर 35 प्रतिशत पर पहुंचा है। यह बीज प्रतिशत जिस दिन उन्नत किस्मों का हो जाएगा उसदिन सही माइने में किसानों का हित सधेगा। उन्होंने जिले के प्रगतिशील बीज उत्पादक किसान सुधीर अग्रवाल से भी मुलाकात कर नई किस्मों के बीज उत्पादन की जानकारी ली। जलवायु के बनते बिगड़ते हालात को सहन करने वाली किस्में किसानों को उपलब्धत होने से ही देश में दूसरी कृषि क्रांति होगी।
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान करनाल के पूर्व अध्यक्ष ने कहा
मथुरा। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान करनाल के पूर्व अध्यक्ष डा. एसएन सिन्हा ने कहा कि कृषि के पितामह डा. एमएस स्वामिनाथन के दौर में पहली कृषि क्रांति भी बीज से हुई लेकिन दूसरी क्रांति उन्नत बीज को किसानों तक त्वरित पहुँचाने से होगी। वैज्ञानिकों ने अनेक श्रेष्ठ किस्में तैयार कर ली हैं लेकिन वह अभी ज्यादातर किसानों की पहुंच से दूर हैं।
वह यहाँ वेटरिनरी गेस्ट हाउस में रुके हुए थे। उन्होंने कहा कि ग्लोवल वार्मिंग हर क्षेत्र में बड़ी चुनौती बन गया है। इससे जूझने को हमारे विज्ञानियों ने गर्मी एवं कड़ी ठंड झेलने वाली किस्में बना ली हैं लेकिन यह आम किसानों तक पहुँचें तब काम चले। उन्होंने कहा कि ग्लोवल वार्मिंग से बासमती की खुशबू गायब हो रही है। उत्तम बीज खेती का आधार होते हैं। जब तक किसानों को इस श्रेणी के बीज नहीं मिलेंगे चाहे जितना उर्वरक डालें उपज नहीं बढेÞगी और खेती ला•ाकारी नहीं होगी। उन्होंने कहा कि अभी तक देश में सीड रिप्लेसमेंट 15 प्रतिशत से बढ़कर 35 प्रतिशत पर पहुंचा है। यह बीज प्रतिशत जिस दिन उन्नत किस्मों का हो जाएगा उसदिन सही माइने में किसानों का हित सधेगा। उन्होंने जिले के प्रगतिशील बीज उत्पादक किसान सुधीर अग्रवाल से भी मुलाकात कर नई किस्मों के बीज उत्पादन की जानकारी ली। जलवायु के बनते बिगड़ते हालात को सहन करने वाली किस्में किसानों को उपलब्धत होने से ही देश में दूसरी कृषि क्रांति होगी।
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