लैबोरेट्री एनीमल्स के मामले में होने लगा मंथन
मथुरा। कुत्तों में हृदय रोगों के निदान के लिए देश में ईको कार्डियोग्राफी एवं टेलिमिट्री तकनीकों का प्रयोग नहीं किया जा रहा है। इस तरह के प्रशिक्षण शिविर अन्तर्राष्टÑीय विशेषज्ञों के सहयोग से आयोजित करने से इस दिशा में काम आगे बढेÞगा। वेटरिनरी विश्वविद्यालय के कोठारी हास्पीटल में यूएस से आऐ विशेषज्ञों के साथ बहुत लोगों ने ईकोकार्डियोग्राफी सीखी।
अनुसंधान के लिए काम आने वाले, बंदर, खरगोश, चूहा आदि जीव लेबोरेट्री एनीमल की श्रेणी में आते हैं। वेटरिनरी कॉलेज के डीन डा. एसके गर्ग ने बताया कि ग्लोवल सेनीरियों में देश कहाँ टिकता है आदि विषयों पर गं•ाीर मंथन हुआ। आने वाले समय में हमें वैश्वीकरण के माइने में कैसे तैयार होना है। विचार का मुद्दा रहा। विशेषज्ञों से यह •ाी जानने का प्रयास किया कि लेबोरेट्री एनीमल साइंस पर देश में कोई कॉलेज नहीं है। इस तहर का एक कॉलेज अलग से हो जो इस तरह का डिग्री डिप्लोम प्रोग्राम छात्रों को दे सके। दूसरे दिन के कार्यक्रम में यूएस के ज्यावस, एना गोन्क्लेव, क्येयर हैन्केन्सन, क्रिस्टोफर ने अपने अनुभव बांटे। कुलपति डा. एपी सिंह ने इसे अभनव प्रयोग बताया।
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