मथुरा। सालों साल लगातार फसल देने वाली नेपियर एवं गिनीग्रास की खेती वेटरिनरी विश्वविद्यालय में कराई जा रही है। इससे पशुओं को हरा चारा मिल पाएगा और किसानों को भी भी हरे चारे की उपलब्धता के लिए एक नया साधन मिल जाएगा।
घास की इन किस्मों की खूबी है कि इन्हें एक बार लगाकर कई साल तक फसल ली जा सकती है। काटो और चाराओ का क्रम इसमें लगातार जारी रहता है। वेटरिनरी विश्व विद्यालय के कुलपति प्रोफेसर डा. ए.पी. सिंह ने बताया कि पहले चरण में वह एक एक हैक्टेयर में घास की दोनों किस्मों की खेती करा रहे हैं। घास विवि परिसर में लहलहाने लगी है। खास बात यह है कि यह घास किसानों में अभी तक प्रचलित नहीं है। इन घासों को हरे चारे के लिए वैज्ञानिक तीन दशकों से रिकमंड कर रहे हैं लेकिन कृषि संस्थानों में भी इसे चारे के रूप में ज्यादा प्रश्रय नहीं दिया गया है।
नेपीयर ग्रास चारे के लिए होती है। कई साल तक चलती है। दो-तीन साल तक चल जाती है। तीन दशक से चल रही है। किताबों में पढ़ने को मिल जाती है। आईवीआरआई में भी नहीं है।
घास की इन किस्मों की खूबी है कि इन्हें एक बार लगाकर कई साल तक फसल ली जा सकती है। काटो और चाराओ का क्रम इसमें लगातार जारी रहता है। वेटरिनरी विश्व विद्यालय के कुलपति प्रोफेसर डा. ए.पी. सिंह ने बताया कि पहले चरण में वह एक एक हैक्टेयर में घास की दोनों किस्मों की खेती करा रहे हैं। घास विवि परिसर में लहलहाने लगी है। खास बात यह है कि यह घास किसानों में अभी तक प्रचलित नहीं है। इन घासों को हरे चारे के लिए वैज्ञानिक तीन दशकों से रिकमंड कर रहे हैं लेकिन कृषि संस्थानों में भी इसे चारे के रूप में ज्यादा प्रश्रय नहीं दिया गया है।
नेपीयर ग्रास चारे के लिए होती है। कई साल तक चलती है। दो-तीन साल तक चल जाती है। तीन दशक से चल रही है। किताबों में पढ़ने को मिल जाती है। आईवीआरआई में भी नहीं है।
गिनीग्रास भी इसी तरह की होती है। चारे की कमी से निपटेगा विश्वविद्यालय। इसे देखने भालने की जरूरत नहीं है। किसान यहां से घास की पौध ले सकते हैं।
Sir bhabua bihar se ham goat farming open kiaa hai hame nepier ghash bij lena hai contect no.de plzz.sir help mob.8227995766
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