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शनिवार, 12 मार्च 2011

उत्तरांचल तक सेवा दे रही चिकित्सा वैन



आईवीआरआई के निदेशक डा. एमसी शर्मा से खास मुलाकात
मथुरा। भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान बरेली के निदेशक डा. एमसी शर्मा ने कहा कि उनके संस्थान के वैज्ञानिक पशुधन विकास से जुडे़ हर पहलू पर काम कर रहे हैं। अनेक रोगों की वैक्सीन पहले ही तैयार की जा चुकी हैं। पशुपालों को घर पर सुविधा देने के लिए विशेष चिकित्सा वाहन बरेली व उत्तरांचल के कुछ जिलों में सेवा दे रहे हैं। इस सेवा को राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक करने पर काम चल रहा है।
केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान पर डायरैक्टर्स मीट में भाग लेने आए श्री शर्मा ने बताया कि वैक्सीन, डायग्नोस्टिक एवं फीड स्टफ पर काम उच्च स्तर का हुआ है। वैज्ञानिकों की चार तकनीक पेटेंट हो चुकी हैं। अभी तक 80 तकनीक संस्थान ने विकसित की हैं। इनमें खुरपका मुंहपका, एन्थ्रेक्स, गलाघोंटू की वैक्सीन, ब्रुसोलासिस, पीपीआर, टिटनिस, एन्टी टोक्सीमियां आदि की वैक्सीन शामिल हैं। हर्बल मेडीशन की दिशा में भी जरूरी क्षेत्रों में काम हुआ है। 
उन्होंने बताया कि इन तकनीकों से तीन करोड़ का राजस्व संस्थान को मिला है।  डीम्ड विवि में डिग्री डिप्लोमा कार्यक्रम चल रहे हैं। किसानों को सीधे तकनीक पहुंचाने का काम करने की पहल संस्थान ने की है। स्टेम सैल सबसे पहले काम की शुरूआत हुई। एनीमल्स मंे तेजी से काम हो रहा। एरिया स्पेसिफिक मिनरल मिक्चर सबसे पहले इजाद किया गया। किसान कॉल सेंटर, एटिक, हैल्पलाइन सुविधा किसानों के लिए हर समय काम कर रहे हैं। एटिक की मोबाइल वैन उत्तरांचल व बरेली जिले में काम कर रही है। इस वैन में संस्थान की अधिकतम तकनीक प्रदर्शित की गई हैं। इनके विषय में किसानों को समझाया जाता है। किसानों को डोर टू डोर चिकित्सा भी प्रदान की जाती है।
उन्होंने बताया कि वृन्दावनी ब्रीड के विकास पर काम तेज हो रहा है। यह नस्ल दुग्ध उत्पादन में बहुत अच्छी है। यह एक ब्यांत मं 7200 लीटर दूध देती है। इसके विकास की दिशा में भी काम चल रहा है।

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