फीचर डेस्क
जन्म के ठीक बाद बछड़े के नाक और मुंह से कफ अथवा श्लेष्मा इत्यादि साफ करनी चाहिए। आमतौर पर गाय बछड़े को जन्म देते ही उसे जीभ से चाटने लगती है। इससे बछड़े के शरीर को सूखने में आसानी होती है और श्वसन तथा रक्त संचार सुचारू होता है। यदि गाय बछड़े को न चाटे अथवा ठंडी जलवायु की स्थिति में बछड़े के शरीर को सूखे कपड़े या टाट से पोंछकर सुखाएं। श्वसन क्रिया ठीक न होने पर हाथ से छाती को दबाकर और छोड़कर कृत्रिम श्वसन प्रदान करें।
नाभि नाल में शरीर से 2-5 सेमी की दूरी पर गांठ बांध देनी चाहिए और नए ब्लेड की सहायता से बांधे हुए स्थान से एक सेमी नीचे से काट कर टिंचर आयोडीन या बोरिक एसिड अथवा कोई भी अन्य एंटिबायोटिक लगाना चाहिए। पशु बांधने का स्थान गीला नहीं होने देना चाहिए, उसकी ठीक से सफाई करते रहना चाहिए और स्थान सूख न पाने की स्थिति में उसे दूसरे स्थान पर बांधना चाहिए। गाय के थन और स्तनाग्र को क्लोरीन के घोल से अच्छी तरह साफ कर सुखाना चाहिए।
बछड़े को मां का पहला दूध अर्थात् खीस का दूध अवश्य पिलाना चाहिए। बछड़ा एक घंटे में खड़े होकर दूध पीने की कोशिश करने लगता है। यदि ऐसा न हो तो दूध पिलाने में उसकी मदद करें।
बछड़े का भोजन
नवजात बछड़े को दिया जाने वाला सबसे पहला और सबसे जरूरी आहार है मां का पहला दूध, अर्थात् खीस। खीस का निर्माण मां के द्वारा बछड़े के जन्म से 3 से 7 दिन बाद तक किया जाता है और यह बछड़े के लिए पोषण और तरल पदार्थ का प्राथमिक स्नेत होता है। यह बछड़े की प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाता है जो उसे संक्रामक रोगों और पोषण सम्बंधी कमियों का सामना करने की क्षमता देता है। इसलिए जन्म के बाद पहले तीन दिनों तक नवजात को खीस पिलाते रहना चाहिए। जन्म के बाद खीस के अतिरिक्त बछड़े को 3 से 4 सप्ताह तक मां के दूध की आवश्यकता होती है। उसके बाद बछड़ा वनस्पति से प्राप्त मांड और शर्करा को पचाने में सक्षम होता है। आगे भी बछड़े को दूध पिलाना पोषण की दृष्टि से अच्छा है, लेकिन यह अनाज खिलाने की तुलना में महंगा होता है। बछड़े को दिए जाने वाले किसी भी द्रव आहार का तापमान लगभग कमरे के तापमान अथवा शरीर के तापमान के बराबर होना चाहिए। बछड़े को खिलाने के लिए इस्तेमाल होने वाले बरतनों को अच्छी तरह साफ रखें।
पानी का रखें ख्याल
जन्म के ठीक बाद बछड़े के नाक और मुंह से कफ अथवा श्लेष्मा इत्यादि साफ करनी चाहिए। आमतौर पर गाय बछड़े को जन्म देते ही उसे जीभ से चाटने लगती है। इससे बछड़े के शरीर को सूखने में आसानी होती है और श्वसन तथा रक्त संचार सुचारू होता है। यदि गाय बछड़े को न चाटे अथवा ठंडी जलवायु की स्थिति में बछड़े के शरीर को सूखे कपड़े या टाट से पोंछकर सुखाएं। श्वसन क्रिया ठीक न होने पर हाथ से छाती को दबाकर और छोड़कर कृत्रिम श्वसन प्रदान करें।
नाभि नाल में शरीर से 2-5 सेमी की दूरी पर गांठ बांध देनी चाहिए और नए ब्लेड की सहायता से बांधे हुए स्थान से एक सेमी नीचे से काट कर टिंचर आयोडीन या बोरिक एसिड अथवा कोई भी अन्य एंटिबायोटिक लगाना चाहिए। पशु बांधने का स्थान गीला नहीं होने देना चाहिए, उसकी ठीक से सफाई करते रहना चाहिए और स्थान सूख न पाने की स्थिति में उसे दूसरे स्थान पर बांधना चाहिए। गाय के थन और स्तनाग्र को क्लोरीन के घोल से अच्छी तरह साफ कर सुखाना चाहिए।
बछड़े को मां का पहला दूध अर्थात् खीस का दूध अवश्य पिलाना चाहिए। बछड़ा एक घंटे में खड़े होकर दूध पीने की कोशिश करने लगता है। यदि ऐसा न हो तो दूध पिलाने में उसकी मदद करें।
बछड़े का भोजन
नवजात बछड़े को दिया जाने वाला सबसे पहला और सबसे जरूरी आहार है मां का पहला दूध, अर्थात् खीस। खीस का निर्माण मां के द्वारा बछड़े के जन्म से 3 से 7 दिन बाद तक किया जाता है और यह बछड़े के लिए पोषण और तरल पदार्थ का प्राथमिक स्नेत होता है। यह बछड़े की प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाता है जो उसे संक्रामक रोगों और पोषण सम्बंधी कमियों का सामना करने की क्षमता देता है। इसलिए जन्म के बाद पहले तीन दिनों तक नवजात को खीस पिलाते रहना चाहिए। जन्म के बाद खीस के अतिरिक्त बछड़े को 3 से 4 सप्ताह तक मां के दूध की आवश्यकता होती है। उसके बाद बछड़ा वनस्पति से प्राप्त मांड और शर्करा को पचाने में सक्षम होता है। आगे भी बछड़े को दूध पिलाना पोषण की दृष्टि से अच्छा है, लेकिन यह अनाज खिलाने की तुलना में महंगा होता है। बछड़े को दिए जाने वाले किसी भी द्रव आहार का तापमान लगभग कमरे के तापमान अथवा शरीर के तापमान के बराबर होना चाहिए। बछड़े को खिलाने के लिए इस्तेमाल होने वाले बरतनों को अच्छी तरह साफ रखें।
पानी का रखें ख्याल
बछड़े को पानी पिलाने का विशेष ध्यान रखें, हर वक्त साफ और ताजा पानी की उपलब्धता रखें। एक बार में जरूरत से ज्यादा पानी न पीने दें। इसके लिए बरतन में बहुत अधिक पानी न रखें और पानी पिलाने के बाद बरतन उठा लेना चाहिए। कल्पतरु एक्सप्रेस साभार
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