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रविवार, 9 जून 2013

ज्यादा पैसा देगी बरसाती भिंडी


भिंडी की खेती देश में बहुतायत में होती है। तोड़ने की दिक्कत को छोड़ दें तो भिंडी अच्छी आय का साधन बनती है। इसकी कई किस्में विकसित हो चुकी हैं। काशी क्रांति किस्म पीत शिरा रोग अवरोधी है। इसके अलावा इस किस्म में पत्ती मरोड़ एवं विषाणु जनित रोग भी नहीं लगते। गर्मी में पैदावार 125 कुंतल एवं बरसात में 175 कुंतल प्रति हैक्टेयर होती है। काशी प्रगति किस्म भी पीतशिरा, मोजेक आदि रोग अवरोधी है। इसमें फल 14 सेंटीमीटर तक लम्बा हो जाता है। काशी विभूति किस्म बौनी होती है। इसे तोड़ने में आसानी रहती है।
परभनी क्रांति किस्म भी कई रोग अवरोधी है। इसमें फल थोड़ी देरी से लगते हैं। इसमे फल पर पांच धारियां होती हैं। उपज थोड़ी कम होती है लेकिन यह स्वाद से भरपूर है। काशी सतधारी किस्म में 42 दिन की अवस्था में ही फल छंटने लगता है। उत्तर प्रदेश के सभी इलाकों में यह किस्में बोए जाने के लिए उपयुक्त हैं। केवल कम तापमान वाले पहाड़ी इलाकों में इनसे कम उपज मिलती है। भिंडी बाजार में चल भी रही है और इस समय भी बरसात के सीजन के लिए भिंडी लगाई जा रही है। भिंडी की जेकेओएच 152, एसओएच 152, एनबीएच 180, एचबीएच 142 आदि शंकर किस्में किसानों में काफी लोकप्रिय हो रही हैं।

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